माना कि मर्डर केस है, कोर्ट इसे आपकी नाकामी और साजिश दोनों मान रही है, पर आप विश्वास रखो भाई, गिरफ्तारी हो जाएगी। गिरफ्तारी तो होना ही है। ऐसे पूरी जिंदगी फरारी में थ़ोडे ना काटेंगे। घरबार है, फेमेली है, धंधारोजगार है। पॉलिटिकल कैरियर भी है। और अब तो चर्चा में आने से आगे चांसेज ब़ढ गए है। सब है। आप बोलोगे, तब गिरफ्तारी करवा देंगे या फिर जब हम चाहेंगे, तब हो जाएगी। याद है ना, आपको यहां कौन लाया ? मैं लाया ना ? आप मानो तो, जहां चाहोगे वहां सरेंडर करवा देंगे । सब प्लानिंग से होगा, होना चाहिए या नहीं ? आप जानते नहीं क्या ? अपने एक इशारे में जो बोलो सो काम होते हैं। अरे, आप बोलो तो एक बार, पार्टी के अन्दर से दस आरोपी सरेंडर करने को बल्कि गिरफ्तार होने को भी तैयार हो जाएं। एक मिनट में और एक इशारे पर। आप बोलो तो। आप बस, बता देना, इशारा भर कर देना कि अब हद पार होने वाली है। मतलब समझ रहे हो ना, हद पार होने का ? अपन वारंट की तामिली भी करवा देंगे और सरेंडरफरेंडर भी, चिन्ता नहीं, क्या ?
वो तो क्या है कि आसपास चुनाव नहीं हैं, नहीं तो ऐसी परिस्थिति में यह जनता भी अपनी। पर एरिया के वोटरों का ध्यान तो रखना ही प़डेगा ना। फिर पूरे इलाके में भी और आसपास भी उनकी जाति के कितने वोट हैं ? आपको पता नहीं है, पर हमें तो सब सोचना प़डता है। आपके जैसा नहीं है। मर्डर में इन्वाल्व हो गए तो क्या हुआ, कार्यकर्ताओं पर उनका कितना तग़डा होल्ड हो। आप तो जानते ही हैं। पूरे एरिया में घूम आइए, लोगों ने अपनी आंखों सब देखा है, पर केस में कोई गवाही देने को तैयार हो जाए तो कहना। पार्टी का अंदरुनी मामला है, इसलिए विरोधी तो खेर चुप हैं, पर असल परेशानी को पार्टी के अपने गुटों की है। सब अपने दांव चलाना चाहते हैं,ऐसे में आप समझ लो, गिरफ्तारी करवाई कि सब श्रेय लेने भ़िड जाएंगे। टूट प़डेंगे। राजधानी तो छ़ोड, दिल्ली तक जवाब देना प़ड जाएगा।
अभी गिरफ्तारी नहीं करवाने का सबसे ब़डा कारण तो आपको बताया ही नहीं। ये समझ लो कि आपने गिरफ्तार किया नहीं कि फिर सब कुछ आपके कब्जे में। हेंहें, और वही तो हम होने नहीं देना चाहते। अपनी पार्टी की सरकार है भाई, ऐसा कैसे होने दें ? इसीलिए गिरफ्तार होने के बाद इम्मिजिएट अस्पताल में शिफ्ट करने का पक्का इंतजाम होने के बाद ही, अब आप समझ लो कि कुछ भी होगा।
वाह ! ऐसे कैसे मान लें आपकी बात। ये तो हमें पता है कि रिमांड पर लेने के बाद भी आप उनको उंगली नहीं लगा पाएंगे। दम हो जो लगाएं ! चैलेंज। बात वो है ही नहीं । आप इसको यों समझ लो, मर्डर केस में अपनी पार्टी के आरोपी को यों आसानी से पक़डने दिया, तो कल से तो आप सिर च़ढ जाओगे। चोरी, जेबकटी, चेनस्नेचिंग, बलात्कार और भी जाने किसकिस केस में निष्ठावान कार्यकर्ताआें को सरेंडर करवाने, गिरफ्तार करने की बातें करने लगोगे। किसकिस को बचाते फिरेगे ? पार्टी कार्यकर्ता का भला तो हमें सबसे पहले देखना प़डता है। ठीक है कि नहीं ?और भगवान कसम, देखिए मैं झूठी कसम कभी नहीं खाता। सच पूछो तो वो अभी इधर कहीं हैं ही नहीं। आज तो हम चाहें तो भी पेश नहीं कर सकते । केस हुआ था उसी दिन से उनकी इच्छा दर्शन करने जाने की थी। आप तो जानते हो धर्म में कितना विश्वास है उनका ! तो इस्तीफा देकर एकदम से चल दिए। सच, उधर हैं ही नहीं। लौटेंगे तो बताऊंगा ना। आखिर मर्डर का केस है। पार्टी बर्दाश्त थ़ोडे ना करेगी। आप बिल्कुल चिन्ता ना करें। - रोमेश जोशी
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